तू हार गया तो क्या हुआ जिंदगी एक पन्ने कि नहीं, कई पन्नों में बिखरी है, एक बिखर भी गया तो, कई और परतो पे निखरी है, एक अगर सफेद रहा तो, सफेद भी तो रंग हुआ, खाली पन्नों पे सोच तू हार गया तो क्या हुआ। आज सब तेरे पास कल की क्यों चिंता करें, जो हक में है तो फिर किस बात पे निंदा करें, कल जब खाली हाथ हो, तब खेलेंगे जुआ, जब तेरे पास कुछ नहीं तो तू हार गया तो क्या हुआ। भरी अलमारी में यादों का जो डब्बा है, वो तेरे हसीन जिंदगी का सुनहरा धब्बा है, उन यादों में से कुछ मिट भी गई तो क्या हुआ, शेष ही विशेष है तू हार गया तो क्या हुआ। तू हार गया तो क्या हुआ जिंदगी एक पन्ने कि नहीं, कई पन्नों में बिखरी है, एक बिखर भी गया तो, कई और परतो पे निखरी है, एक अगर सफेद रहा तो, सफेद भी तो रंग हुआ, खाली पन्नों पे सोच तू हार गया तो क्या हुआ। आज सब तेरे पास कल की क्यों चिंता करें,