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जिंदगी ने कब कहा हम तुम्हारे साथ नही वो हमेशा सा

जिंदगी ने कब कहा 
हम तुम्हारे साथ नही 
वो हमेशा साथ थी
वो हमेशा पास थी 
बस हम ही उसे 
समझ ही नही पाए 

समुंद्र ने कब कहा
मेरे साहिल डूबा देगें 
वो हर बार इशारे
चीख के करता रहा
लहरे हैं ये मेरी
उफान लेती रहती हैं 

जब तक हो किनारे
करो उनका जरा सम्मान
एक बार किनारे से
मध्य में आते ही
देखना वही तेज लहरे 
मंजिल का रस्ता दिखलाएंगी 

जीवन का भी यही
एक मजबूत वसूल है
जबतक रहोगे तुम किनारे
लेंगी परीक्षा हजार बार 
एक बार मध्य पहुंचे
वही कराएंगी भवसागर पार।
–अjay नायक ‘वशिष्ठ’

©AJAY NAYAK
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