धिक्कार तुम्हारी मेधा को लाशों के ढेर पे बैठी है कहती इसको राजगद्दी दंभ से ऐसे ऐंठी है है दाग़ तुम्हारे सपनों पर ये खून के धब्बे कैसे हैं ये कतरा कतरा बोलेगा रोलेंगे महल वे कहते हैं ये ध्वंस करेगा माफ़ नहीं ये जीत कोई इंसाफ़ नहीं दो प्रेम! धरा को जीवन दो युद्धों का ये अभिशाप नहीं यों बिना धड़कना भावों के हृदय! कह दे कोई है पाप नहीं धरती पर प्रीति की खेती से बढ़कर पुण्य प्रताप नहीं #toyou #yqwarandpeace #yqmind #yqheart #lovetothemankind #yqmoon #yqfaith