मेरा इश्क तो समुन्दर था, तेरे बादल घने बिरला ही बरसे, मैंने तो सब अपना लिया था, बस तेरी बेखुदी से तरसे। अजीब है यह दिल की कशमकश, बेचैन कर तलबदार बना देती है, न जाने किस भूल- भुलैया में फंसा तू, यह सोच मेरी नींद उड़ा देती है। भले ही पन्ने जल्दी पलट दिये, आखिर में मेरा उपसंहार तो पड़ लेना, हाँ लघुकथा तो मैं भी नहीं, अपने यादों में ज़िक्र इसका ढूंढ लेना।। #विशेषप्रतियोगिता #rzलेखकसमूह #लेखनसंगी #rztask414 #collabwithrestzone #restzone #nivedita #YourQuoteAndMine Collaborating with Nivedita Nonhare