एक उम्मीद जो बांध रखी थीं हमने वो पुरे हो न सके, हम मिल न सकें.. एक आस उम्मीद बंधी थीं जो वह आस उम्मीद भी टूट गई जिस साथ से बंधकर जीना था वह साथ भी अपनी छूट गई सोचा था प्यार, चाहा था प्यार पर बदले मे वह सावन पाया जिसमें पुरवाईयां चलती हैं लेकिन कैसी बरसात आयी, आसूं भी मेरे लूट गई, सपने जैसे सारे टूट से गए हम मिल न सके.. मिल न सके अब मिल भी न सकेंगे? #मिलनसके #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #suchitapandey #सुचितापाण्डेय एक उम्मीद जो बांध रखी थीं हमने वो पुरे हो न सके, हम मिल न सकें.. एक आस उम्मीद बंधी थीं जो