एक कविता (Full piece in the caption) जब सारे नाते टूट गए हो गमों का हर पर्दा बेपर्दा हो चला हो जब खुशियों की गहराई से आंसू छलके मोती बनके नशीली सी उन आंखों से जाम बरसती पैमाना बन के जब दिल के आंगन में कांटो भरा गुलाब खिले पंखुड़िया बनके चाहे जैसी हो दूरी हो चाहे कोई मजबूरी जब दर्द उठे रोम रोम में, आह निकले तन मन से रिश्तो का बंटना हो या यारों का बिछड़ना हो,