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कुम्हार ने मिट्टी रौंदकर, अपने चाक पर चढ़ा दी हैं।

कुम्हार ने मिट्टी रौंदकर,
 अपने चाक पर चढ़ा दी हैं।
चाक को घुमा घुमा कर,
 मिट्टी से मटकी खूब बना दी है।।
कुम्हार ने मेहनत करके,
 सुन्दर मटकी बना दी है।
अपने कलाकार मन से,
 सुन्दर चित्रकारी कर दी है।।
उसने अपनी मटकी को, 
कीमती बना दी है।
उसने परिश्रम करके मटकी, 
हाट तक पहुँचा दी है।।
हर्षित सा एक ग्राहक आया, 
उसको मटकी भा गई हैं।
उसने झट से पैसे देकर,
 मटकी अपनी बना ली है ।।
ग्राहक के संग खुशी से ,
मटकी उसके घर आ गई है।
ग्राहक को शीतल जल पिलाती, 
उसकी प्यास बुझाती हैं।।
कुम्हार और ग्राहक दोनों हर्षित हैं,
 मन ही मन हर्षाते हैं।
दोनो की प्रसन्नता देखकर,
 मटकी भी गदगद होती है #कुम्हार
कुम्हार ने मिट्टी रौंदकर,
 अपने चाक पर चढ़ा दी हैं।
चाक को घुमा घुमा कर,
 मिट्टी से मटकी खूब बना दी है।।
कुम्हार ने मेहनत करके,
 सुन्दर मटकी बना दी है।
अपने कलाकार मन से,
 सुन्दर चित्रकारी कर दी है।।
उसने अपनी मटकी को, 
कीमती बना दी है।
उसने परिश्रम करके मटकी, 
हाट तक पहुँचा दी है।।
हर्षित सा एक ग्राहक आया, 
उसको मटकी भा गई हैं।
उसने झट से पैसे देकर,
 मटकी अपनी बना ली है ।।
ग्राहक के संग खुशी से ,
मटकी उसके घर आ गई है।
ग्राहक को शीतल जल पिलाती, 
उसकी प्यास बुझाती हैं।।
कुम्हार और ग्राहक दोनों हर्षित हैं,
 मन ही मन हर्षाते हैं।
दोनो की प्रसन्नता देखकर,
 मटकी भी गदगद होती है #कुम्हार