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के दोस्ती हो गई है पर खुद को रोक रखा है, लकीरों

के दोस्ती हो गई है 
पर खुद को रोक रखा है,

लकीरों में दवा और हथेली पर रोग रखा है,

एहसासों में खुदको टूटने से बचा नही पाते
तो जो चीजें बस में नही उन्हें छोड़ रखा है,

तेरे सिर को याद करता है हल्का पड़ते ही
मैने जान करके कंधे पर बोझ रखा है,

और यूं तो गले लगाने का जी है मगर
तू लौटी तो दफा कर दूंगा ये सोच रखा है,

मैं बदल सकता हूं,उसकी चाहत,नजरिया, वगैरा वगैरा
पर उसे दोस्ती ही चाहिए उसने बोल रखा है

के उसे इस कदर चाहता हूं मैं भी 
पर उसकी खुशी के खातिर मेने भी खुद को रोक रखा है,

और यूं तो वो सब कह देने का दिल मेरा भी है करता मगर
उसको दिए इस वादें ने हमे रोक रखा है

और आसान नहीं है ये सब मेरे लिए भी
पर उसकी खातिर अपने जज्बातों पर काबू मैने भी रखा है

उसकी खुशी में खुश हो जाने से खुश रह लेता हूं मैं तो
तो क्या अगर इस रिश्ते का ना उसने दोस्त रखा है

©Àman Singh Solanki
  के लम्हे कुछ बनाने खास और भी
इसी खातिर हमने अभी तक उसका दिया वादा भी समेट रखा है


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के लम्हे कुछ बनाने खास और भी इसी खातिर हमने अभी तक उसका दिया वादा भी समेट रखा है #alfaaz #ektarfapyaar #rekhta #no #na Love #Poetry

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