पंक्तियों के माध्यम से बात अपनी समझाना चाहता हूँ सिक्के के पहलू दो होतेे हैं सबको बताना चाहता हूँ मैं हृदय से सम्मान करता हूँ नारी जीवन आधार है पढ़कर स्वयं ही निर्णय लें ये प्रश्न क्या ये मेरे निराधार हैं मात पिता जो लहू बहाकर अपना, संतान का लालन पोषण करते हैं स्वयं भूखे रहकर भी संतान को प्रत्येक सुख से सृजन करते हैं फिर किस अपराध में दोषी उन्हें ठहराया जाता है?? संतान के विवाह के उपरांत अपने ही घर में उन्हें पराया किया जाता है? केवल वधू के आने से क्या अधिकार उनका कम हो जाता है? पुत्र भी सबकुछ देखता हुआ खुद को लाचार पाता है क्योंकि नारी सम्मान पर माँ का दिया हुआ ज्ञान ही उसके आड़े आता है हद पार हो जाती है जब अपमान उसी माँ का हो जाता है सम्मान में उस माँ के जो शब्द कुछ पुत्र कह जाता है तो हमारा समाज उसे ही कठोर निष्ठुर क्रूर बताता है घर वह नहीं जिसे ईंट पत्थर एवं ऐशो आराम से सजाया जाता है संयुक्त रिश्तों का परिवार ही एक घर की परिभाषा है सम्बन्ध वही है जिसे अपने लहू से मात पिता ने सजाया है फिर उसे तोड़ने का अधिकार उस वधु को कौन दे जाता है? फिर उसे तोड़ने का अधिकार उस वधु को कौन दे जाता है? यह इस वक्त लाखों बेटों की कहानी है जिसे मैने पंक्तियों में उतारने का प्रयास किया है 💐💐💐 पंक्तियों के माध्यम से बात अपनी समझाना चाहता हूँ सिक्के के पहलू दो होतेे हैं सबको बताना चाहता हूँ मैं हृदय से सम्मान करता हूँ नारी जीवन आधार है पढ़कर स्वयं ही निर्णय लें ये प्रश्न क्या ये मेरे निराधार हैं मात पिता जो लहू बहाकर अपना, संतान का लालन पोषण करते हैं स्वयं भूखे रहकर भी संतान को प्रत्येक सुख से सृजन करते हैं