अब ज़्यादा कुछ नहीं चाहिए ज़िंदगी से मुझे बस कोई हो,जो पूरी बेबाकी से सर ए बाज़ार मेरा हाथ पकड़ना जनता हो हाथ पकड़े तो इस इरादे से फ़िर,छोड़ना ना चाहता हो चाहता हो जीत लेना दुनिया,बेशक या फ़िर हार जाना दिल अपना ना समझे मुझे पूरी दुनिया पर दुनिया की सबसे कीमती शय तो कमसकम मानता हो मुझ को हासिल है फन ख़ामोश मोहब्बत का मगर वो मेरे लफ़्ज़ो की खामोशी और खामोशी के पीछे का शोर तो पहचानता हो ना हो वो सबसे आला सबसे क़ाबिल तो क्या मुझ को किसी कीमत महंगे फानूस जैसा नहीं बेहद अज़ीज़ तावीज़ की तरह गले से लगाना जानता हो नहीं मुझ को ख्वाइश रही हैं महलों की छोटी सी चारदीवारी को भी मेरे संग जो घर मानता हो मुझे,संगमरमर के ख़्वाब नहीं आते कभी मैं मिट्टी हु मेरी मामूलियत में भी मेरे संग ढलना जानता हो ना जीते जंग मेरे हिस्से की मुझ मे अकेले लड़ने का मद्दा तो हैं मैं,मगर हु तो फिर भी इक इंसा वो,मेरे संग चलना जनता हो कोई हो जो फन ए इज़हार,मोहब्बत तवज्जों,इज्ज़त ये महंगी चीजें चाहता हो जो मुझ से मुझ को मांगता हो जो साथ चलना जनता हो... ©ashita pandey बेबाक़ #sad_quotes खतरनाक लव स्टोरी शायरी लव शायरियां लव कुश लव स्टोरी लव कोट्स