हर टूटे हुए रिश्ते को मैं बुन लेता हूँ, गहेरी काटो के बीच खीली ग़ुलाब को मैं चुन लेता हूँ। तुझसे इश्क़... इस हद तक हो गयी हैं, कि तेरी ख़ामोशी के पीछे छीपी हर एक आवाज़ को मैं सुन लेता हूँ। -By आर्या बरेठ। इश्कबाज...