अच्छाइयां अब इस दौर-ए-ज़लज़ले में नहीं मिलती,ना जाने क्यों मेरी आदत आस नही छोड़ती, करता ही जाऊँ भला खुद से पहले बढ़कर, ना जाने फिर भी दुनिया पत्थर ही समझती, कह दिया एक दिन मैंने लड़कर, मीलों का सफर कर आया हूँ दुनियां अब है हैरती, एक चींटी मझे ललकारती है जाना मीलों दूर में अब कहाँ हूँ गुमसार, जाना सागर पार, संग है पहाड़ शुरू करु दूं दास्तान संग लिखता अपना ग़ुरूर बदल दूंगा तस्वीर संकल्प है सुदूर Collab 🔓open दिल में उसे छिपाके रखूँ उसपर जाँ निसार करूँ मेरी माँ है मेरी जन्नत मैं उससे बेपनाह प्यार करूँ -------------- writer✍️ sajid ---------------- गमों की चाहें बारिस कर मैं कहता नही ख़ुशी दे दे मुझसे रहे न कोई खफ़ा या रब ऐसी ज़िन्दगी दे दे # pragya_shukla #sajidwrites #qouteoftheday #yqbaba #yqdidi #ekkhayal #mythoughts #yqtales