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सफर मै रोज़ करता हुं मगर मंज़िल नही मिलती ना जाने

सफर मै रोज़ करता हुं मगर मंज़िल नही मिलती
ना जाने किन राहों से अभी गुज़रना बाकी है


लेखक
आशिक़ मोमिन बाकी है...
सफर मै रोज़ करता हुं मगर मंज़िल नही मिलती
ना जाने किन राहों से अभी गुज़रना बाकी है


लेखक
आशिक़ मोमिन बाकी है...
ashiqmomin6560

Ashiq Momin

Bronze Star
New Creator