हर बार कोई न कोई उसका भरम तोड़ता है।इस बार भी वह टुट गयी पर खुद को उसी मजबूती से खड़ी होगयी चाँद कि तरह शितल हो गयी सुरज कि तरह कुदंन होगयी वह नारी है। सब कुछ मुस्कुरा कर खड़ी हो गयी हारना । मुन्नी गुप्ता