पल्लव की डायरी मचा हुआ है शोर,दंगल है भारी जुगाड़ जुगाड़ लगाकर मन मोहते है जाति धर्म भाषा देखकर फंदे बुनते है वोटो की फसल काटने जनता की जी हजूरी करते है पांच साल की सत्ता सुख भोगने घर घर दस्तक देते है विरोधी स्वर शांत करने के लिये प्रपंच खूब रचते है खोल खजाने विज्ञापन अनोखे रचते है भर्मित कर जनता को धोखा देते है कोई वायदे पूरे नही करते है सभी नेता जनता को छलते है टेरर दिखलाकर जीना हराम करते है किसको चुने जनता सब हमाम में नँगे दिखते है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #Sarkaar टेरर दिखलाकर जीना हराम करते है #Sarkaar