मै भी तारो सा टूट गया । साथ मुझे भी अम्बर सा था। बस एक पल में छूट गया मै भी चमका,मै भी हारा, क्यों दूर हुआ कोई प्यारा। और व्यथा निधि में डूब गया। कुछ प्रिय लोगो के हाथोंसे फिर , मै खोजा भी खूब गया। पर व्यथा जलधि में मिल न सका। मन भारी था कि हिल न सका। फिर तह में जाकर बैठ गया। गम के दम में फिर ऐठ गया। फिर यू अस्तित्व समाप्त हुआ। कन -कन में मै व्याप्त हुआ। ना गया कभी फिर अम्बर तक। ना गया कभी भी अम्बर तक। #Star and man