वो पंखुड़ी एक गुलाब की तो मैं उसको चूमता आफताब लिखता हूं वो इबादत की एक तस्वीर पाक सी तो मैं उसके चौखट पर पड़ा फरियाद लिखता हूं वो मंदिर में महकती खुशबू चंदन की तो मैं उसको मस्जिद में जलता चराग लिखता हूं वो रहने वाली परी नील गगन की तो मैं उसको मयखाने का नशीला शराब लिखता हूं वो दूर से आती एक मधुर ध्वनि संगीत सी तो मैं उसको मृदंग पर थिरकता साज लिखता हूं वो माँ के आंचल की एक गुड़िया तो मैं उसको पिता के चरणों का दास लिखता हूं