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वो पंखुड़ी एक गुलाब की तो मैं उसको चूमता आफताब लिखत

वो पंखुड़ी एक गुलाब की
तो मैं उसको चूमता आफताब लिखता हूं

वो इबादत की एक तस्वीर पाक सी
तो मैं उसके चौखट पर पड़ा फरियाद लिखता हूं

वो मंदिर में महकती खुशबू चंदन की
तो मैं उसको मस्जिद में जलता चराग लिखता हूं

वो रहने वाली परी नील गगन की
तो मैं उसको मयखाने का नशीला शराब लिखता हूं

वो दूर से आती एक मधुर ध्वनि संगीत सी
तो मैं उसको मृदंग पर थिरकता साज लिखता हूं

वो माँ के आंचल की एक गुड़िया
तो मैं उसको पिता के चरणों का दास लिखता हूं shilpa Patel naina Ranjeeta Yadav Dikshu singh Nargis Siddiqui
वो पंखुड़ी एक गुलाब की
तो मैं उसको चूमता आफताब लिखता हूं

वो इबादत की एक तस्वीर पाक सी
तो मैं उसके चौखट पर पड़ा फरियाद लिखता हूं

वो मंदिर में महकती खुशबू चंदन की
तो मैं उसको मस्जिद में जलता चराग लिखता हूं

वो रहने वाली परी नील गगन की
तो मैं उसको मयखाने का नशीला शराब लिखता हूं

वो दूर से आती एक मधुर ध्वनि संगीत सी
तो मैं उसको मृदंग पर थिरकता साज लिखता हूं

वो माँ के आंचल की एक गुड़िया
तो मैं उसको पिता के चरणों का दास लिखता हूं shilpa Patel naina Ranjeeta Yadav Dikshu singh Nargis Siddiqui