इन खुली लटों को अपनी, भला क्यों तुम संवारते नहीं........ अपना वक्त अब तुम क्यों, साथ में हमारे गुज़ारते नहीं......... कहते हो तुम तलाश में हो, किसी महबूब की आज-कल....... फ़िर भला क्यों तुम अपनी, ये नज़र हम पर मारते नहीं.......... ©Poet Maddy इन खुली लटों को अपनी, भला क्यों तुम संवारते नहीं........ #Open#Groom#Waste#Time#Together#Search#Lover.........