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किताब-ए-इश्क़ में उसको पढ़ाऊँगा मोहब्बत, तख़्ती-ए-

किताब-ए-इश्क़ में उसको पढ़ाऊँगा मोहब्बत,
तख़्ती-ए-दिल पे उससे लिखवाऊँगा मोहब्बत,

वो जो ग़ज़ल मैंने उसके हुस्न पर लिखी है,
वो जब मिलने आएगी उसे सुनाऊँगा मोहब्बत,

उसे शिकायत है कि मैं क्यूँ ख़ामोश रहता हूँ,
इक रोज़ उसे गले लगाकर बताऊँगा मोहब्बत।
#GoodMorning❤️ 
#HappySunday🤗

©Abhay Rana
  #uskebina