तो मैं तुमसा नहीं हूं और तुम मुझसे नहीं हो! वजह कुछ भी हो, अब तुम खुलके भी मिलते नहीं हो। न जाने किन ख़यालों में घिरे रहते हो अब तुम? हमारे साथ होकर साथ तुम होते नहीं हो! सुना है सच बहुत कड़वा हुआ करता है जांना, ये लहजा तल्ख़ तो करते हो सच सुनते नहीं हो। हमारे साथ चलकर दो क़दम तुम थक गये हो! नई राहें नई मंज़िल भी क्यूं चुनते नहीं हो! इक ऐसे मोड़ पे लाकरके तन्हा छोड़ देना! बनाकर अपना अब कहते हो तुम अपने नहीं हो! अलहदा कर दिया है मुझको अपनी ज़िन्दगी से, तो क्या तुम अपने दिल में भी मुझे रखते नहीं हो? अदावत हमने कर ली जब ज़माने भर से तो फिर, हमारे हक़ में तुम क्यूं फ़ैसला करते नहीं हो! #yqaliem #tou! #ishq #marasim #faisla #adawat #alahda #raaste तल्ख़ - Bitter अलहदा - to separate