नारी तुम्हारी प्रतीक्षा अब अनंत हुई अब स्वयं उठो अपनी ही लाज बचाने को अब करो न देरी बनने में दुर्गा चंडी अब समय करो न व्यर्थ न्याय तुम पाने को महिसासुर धाती हो तुम खुद को याद करो न दर दर घूमो न ही तुम फरियाद करो इन पापी दुष्टाचारी अत्याचारिओं का सर धड़ से अलग कर इनका तुम संहार करो नारी तुम्हारी प्रतीक्षा अब अनंत हुई अब स्वयं उठो अपनी ही लाज बचाने को है गर्वित इतिहास तुम्हारा कुछ तो बोलो इस तरह नहीं चुप बैठो तुम मुख तो खोलो है तेरे ही हाथों में अब लाज तेरी दोहरा दो इतिहास समय की मांग यही नारी तेरी प्रतीक्षा अब अनंत हुई अब समय नहीं है आंसू और बहाने को अब स्वयं उठो अपनी ही लाज बचाने को आग्रह