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कैसे कहे पापी हम उसको, अब हर गलीमें दुर्योधन होता

कैसे कहे पापी हम उसको,
अब हर गलीमें दुर्योधन होता है ।
रखी थी मर्यादा सीताजी की,
उस रावणको जलाके कुकर्म होता है ।
अँधेपनकी दौडमे, Nidhi
बढ़ रहा अब द्वेष यहाँ ।
नज़रअंदाज़ कर सच्चाई को,
सज़दा दिखावेका अब होता है  । #बढ़ना #nanhikalam
कैसे कहे पापी हम उसको,
अब हर गलीमें दुर्योधन होता है ।
रखी थी मर्यादा सीताजी की,
उस रावणको जलाके कुकर्म होता है ।
अँधेपनकी दौडमे, Nidhi
बढ़ रहा अब द्वेष यहाँ ।
नज़रअंदाज़ कर सच्चाई को,
सज़दा दिखावेका अब होता है  । #बढ़ना #nanhikalam