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मेरी आधी "कहानियों" को वो बिना कुछ कहें समझ लेता ह

मेरी आधी "कहानियों" को वो बिना कुछ कहें समझ लेता है
एक "पागल" है जो मुझे पागलों की तरह चाहता है
उसके टुटे फुटे "मकान" को मैं .....
अपने ख्बाबों का "आशियाना" समझ लेती हूँ 
ओर एक एक चीज को  बडी प्यार से सजोंती हूँ
पर कुछ भी कहने में उसका मन बडा कतराता हैं
एक "पागल" है जो मुझे पागलों की तरह चाहता है
हर एक "चिंता" पर मेरी वो अपना हाथ रख लेता है
"छत" ना हो बेशक उसके सिर पर... 
पर अपने हाथों को मेरा "तकिया" बना देता है
एक "पागल" है जो मुझे मुझसे ज्यादा चाहता है
मेरी आधी "कहानियों" को वो बिना कुछ कहें समझ लेता है
एक "पागल" है जो मुझे पागलों की तरह चाहता है
उसके टुटे फुटे "मकान" को मैं .....
अपने ख्बाबों का "आशियाना" समझ लेती हूँ 
ओर एक एक चीज को  बडी प्यार से सजोंती हूँ
पर कुछ भी कहने में उसका मन बडा कतराता हैं
एक "पागल" है जो मुझे पागलों की तरह चाहता है
हर एक "चिंता" पर मेरी वो अपना हाथ रख लेता है
"छत" ना हो बेशक उसके सिर पर... 
पर अपने हाथों को मेरा "तकिया" बना देता है
एक "पागल" है जो मुझे मुझसे ज्यादा चाहता है
nishasharma5241

Nisha Sharma

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