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गाँव के गलियारों में नदियों के किनारों मे पेड़ो की

गाँव के गलियारों में नदियों के किनारों मे
 पेड़ो की छाँवो में, बेबुनियादी राहों में
 ये मंजर कितना पुराना हो गया,
 बचपन अब सयाना हो गया ।।

सस्ता सा था जमाना एक रुपए के चार आने
दोपहरी में घर से भागना,
शाम को बनते थे फिर बहाने
बहाने बनाते बनाते वो सयाना जो हो गया
ये मंजर कितना पुराना सा हो गया।।

छुपते हुए दीवारों के पीछे 
बारिशों में खुले आसमान के नीचे 
खेलते हुए आंख-मिचौनी
नादानों से गुस्ताखियां होनी 
वो खेल का मैदान वीरान हो गया 
बचपन अब जवान हो गया ।।

बड़े हुए तो ख्वाईशे भी हुई बड़ी 
शहरो के आंधिया हमे ले उडी
फ़ुर्सत के पलों में जब होश आया
इस भीड़ में खुद को अकेला पाया
देखते ही देखते क्या अफसाना हो गया 
बचपन अब सयाना  हो गया ।। #Bachpan #Nojotohindi #Nojoto
गाँव के गलियारों में नदियों के किनारों मे
 पेड़ो की छाँवो में, बेबुनियादी राहों में
 ये मंजर कितना पुराना हो गया,
 बचपन अब सयाना हो गया ।।

सस्ता सा था जमाना एक रुपए के चार आने
दोपहरी में घर से भागना,
शाम को बनते थे फिर बहाने
बहाने बनाते बनाते वो सयाना जो हो गया
ये मंजर कितना पुराना सा हो गया।।

छुपते हुए दीवारों के पीछे 
बारिशों में खुले आसमान के नीचे 
खेलते हुए आंख-मिचौनी
नादानों से गुस्ताखियां होनी 
वो खेल का मैदान वीरान हो गया 
बचपन अब जवान हो गया ।।

बड़े हुए तो ख्वाईशे भी हुई बड़ी 
शहरो के आंधिया हमे ले उडी
फ़ुर्सत के पलों में जब होश आया
इस भीड़ में खुद को अकेला पाया
देखते ही देखते क्या अफसाना हो गया 
बचपन अब सयाना  हो गया ।। #Bachpan #Nojotohindi #Nojoto