मुझे तुझसे शिकारत हे ए बोलना जरूरी हे क्या... नजर तो आज ही आये हो दूर जाना जरुरी हे क्या... मे अश्को सा रोया हू ओर रोना जरूरी हे क्या... दर्द को छुपाया सीने मे अब दिखाना जरूरी हे क्या... लम्हे गजर रहे हे बिती बाते याद करना जरूरी हे क्या... पन्ने जले हुए हे किताब लिखना जरूरी हे क्या... यु सफर मे जो तुमसे हारा हु अब जितना जरूरी हे क्या... आओ ओर इंतजार करे घर जाना जरूरी हे क्या... अंधेरो मे उजालोसा याद आना तेरा जरूरी हे क्या... मे कयी रोज सोया याद मे यु जगाना जरूरी हे क्या... सपने तोडे तुने अब जोडना जरूरी हे क्या... जिंदगी मे दरबदर होकर यु बिखरना जरूरी हे क्या... #युगेंद्र अशोक काकडे ©Yugendra Kakade #EveningBlush