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धीरे धीरे लम्हे बित्ते गये, वक़्त मुट्ठी से निकलता

धीरे धीरे लम्हे बित्ते गये,
वक़्त मुट्ठी से निकलता गया,
किया था वादा वापस आनेका,
ना वो आए ना कोई चिठ्ठी आई,
"फिर आया एक सन्देशा
कि वह वही के रहवासी हो गये।
हम उनके लिए परदेसी हो गये।
 इसलिए अब अजनबी हो गये।।

©Anjana Uikey
  #अधूरीकहानी