तेरे गालों के छेंद मानो मेरे, शहर के सड़कों के गड्ढे हो गए हों, फसा जो इक दफा रिक्शा मेरे इश्क़ का, कम्बख्त निकाले ना निकले। गालों में गड्ढों वालों की अलग ही डिमांड है,,,,