जिनसे मैं हाथ मिलाता हूँ वो ही मेरे हाथ काटने लगे, मेरी कविता मेरी शायरी से,मेरी ही छाप काटने लगे.. बर्दाश्त की इम्तेहां तो तब हो गई जनाब, जब मैनें उन्हें रोका और वो मुझे ही डाँटने लगे... 😥😥😥 Ombir kajal छाप काटने लगे