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जिन्दगी की रील में, स्मारक बन अज्ञानता अंकित है, श

जिन्दगी की रील में,
स्मारक बन अज्ञानता अंकित है,
शांत परिवेश में।
साथ है,नहीं छूटा है
स्थापित हो कर,ढांढस देता है
इतनी कृपा है।
हो जाती होगी अनेक अनहोनी
पर मुझे तो एक मार्ग प्रस्तुत है,
जो जिन्दगी की रील में, 
मेरे प्रति सद्भावना अग्रसर कराती है,
निश्चित यह,रील में अंकित ज्ञान होगा।
वो 'ज्ञान'जो,
एक विचारणीय मन,बहुसंख्य आयाम और,
अनन्य जिंदगीगत उत्तरदायित्व के 
सशक्त आचरण में हुई चूक को मात्र,
औचित्य प्रदान करता है।
आप तो जानते ही हैं, दूषित को दोषमुक्ति नहीं है,
जो अकारण भूल को है।
 मेरे पिता जी कहते हैं 'गलत का justification नहीं है'

जिन्दगी की रील में,
स्मारक बन अज्ञानता अंकित है,
शांत परिवेश में।
साथ है,नहीं छूटा है
स्थापित हो कर,ढांढस देता है
इतनी कृपा है।
जिन्दगी की रील में,
स्मारक बन अज्ञानता अंकित है,
शांत परिवेश में।
साथ है,नहीं छूटा है
स्थापित हो कर,ढांढस देता है
इतनी कृपा है।
हो जाती होगी अनेक अनहोनी
पर मुझे तो एक मार्ग प्रस्तुत है,
जो जिन्दगी की रील में, 
मेरे प्रति सद्भावना अग्रसर कराती है,
निश्चित यह,रील में अंकित ज्ञान होगा।
वो 'ज्ञान'जो,
एक विचारणीय मन,बहुसंख्य आयाम और,
अनन्य जिंदगीगत उत्तरदायित्व के 
सशक्त आचरण में हुई चूक को मात्र,
औचित्य प्रदान करता है।
आप तो जानते ही हैं, दूषित को दोषमुक्ति नहीं है,
जो अकारण भूल को है।
 मेरे पिता जी कहते हैं 'गलत का justification नहीं है'

जिन्दगी की रील में,
स्मारक बन अज्ञानता अंकित है,
शांत परिवेश में।
साथ है,नहीं छूटा है
स्थापित हो कर,ढांढस देता है
इतनी कृपा है।