यदि दूसरों के विचार आपके विचारों से मुक्त हों तो उनसे लड़ाई-झगड़ा न करो । अनेक प्रकार के मन होते हैं । विचारने की शैली अनेक प्रकार की हुआ करती है । विचारने के भिन्न-भिन्न दृष्टिकोण हुआ करते हैं । अतएव सभी दृष्टिकोण निर्दोष हो सकते हैं। लोगों के मत के अनुकूल बनो । उनके मत को भी ध्यान तथा सहानुभूतिपूर्वक देखो और उनका आदर करो। अपने अहंकार चक्र के क्षुद्र केंद्र से बाहर निकलो और अपनी दृष्टि को विस्तृत करो । अपना मन सर्वग्राही और उदार बनाकर सबके मत के लिए स्थान रखो तभी आपका जीवन विस्तृत और हृदय उदार होगा । हिंदी की प्रसिद्ध लेखिका नासिरा शर्मा कहती है कि : " आजादी का मतलब ये कतई नहीं है कि हम कुछ भी बोलें और ये भी नहीं है कि बिना सोचे समझे शोर मचाना सुरु करदें " ! 😊💐💐💐💐🍉🍉🍉🌷🍓💕 अपने आप से कुछ बातें की .... मैंने तो यही पाया ! आपको क्या लगता है ? #komal sharma #shweta mishra