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रिस्ता वो दिलो का न जाने कैसा था , न कभी जुड़ा था न

रिस्ता वो दिलो का न जाने कैसा था ,
न कभी जुड़ा था न कभी मिला था ,
फिर भी हर सांस को मेरी वो मेहसूस किया था ,
फ़िक्र हर पल में था जब तेरा ,
हर लफ्ज में था उस वक्त जिक्र तेरा ,
तेरी ही कामोशियो में दिल ये खोया था……

©Saroj Bala
  #doori #DilKaRista