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दुःख - दर्द ये दुःख भी बहुत जरूरी है जो सुख को पर

दुःख - दर्द

ये दुःख भी बहुत जरूरी है जो सुख को परिभाषित करता है 
बिन दुःख के सुख का मूल्य नहीं, जो सुख का अनुभव कराता है

मैं सुखी खुद को समझता हूँ जो दुःख मेरे संग रहता है 
मैं इसको खूब समझता हूँ, ये मुझको खूब समझता है।

मैंने अब इससे दोस्ती कर ली ये मुझको प्यारा लगता है 
ये नहीं रहता जब पास मेरे, कुछ खाली खाली लगता है।

दोस्तों सच पूछो तो दुःख मेरा सच्चा साथी है 
मेरे सारे संगी छूट गए बस इसकी यारी बाकी है।

ये सुख मुझे खुशी क्या देगा, जब दुःख का पलड़ा भारी है।
ये दर्द सुकून देता है ये तकलीफ भली लगती है 
इस दुःख से शिकायत कैसी, ये ख़ुशी जान लेती है।

ये दर्द जिया है मैंने इसकी अब मुझको आदत है 
न जाने ख़ुशी कैसी होगी, जो सिर्फ सुनाई देती है।

हाँ, जी है मैंने थोड़ी से कुछ खट्टी सी कुछ मीठी सी 
फिर भी दुःख का मज़ा लिया, छोड़ कभी गया नहीं।

©Kushal
  #दुःख_दर्द #Poetry #Shayari