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बरसात*** हर ओर बादलों का शोर है छाया अंधकार घनघोर

बरसात***
हर ओर बादलों का शोर है
छाया अंधकार घनघोर है
अंबर के बाहुपाश से छूट रही चपला ,
सावन भी बरस रहा आज पुरज़ोर है.....
घात लगाए बैठा देखो
वहाँ एक चोर है....
मौके की फिराक में
न जाने कब से वो किशोर है....
कुछ तो हाथ लगेगा आज
सोच सोच वो आत्मविभोर है...।
मिलन की आस है या
जुदाई का आभास है
हर्ष है या विषाद है ?
कुछ तो है,तभी तो
नाच रहा मोर है....
मैं भी हूँ द्वंद में
मुझमें भी तो
नाच रहा एक मोर है
छुपा हुआ एक चोर है
ढूंढ रहा जो नई भोर है ।  हर ओर बादलों का शोर है
छाया अंधकार घनघोर है
अंबर के बाहुपाश से 
है छूट रही चपला ,
सावन भी बरस रहा
आज पुरज़ोर है.....
घात लगाए बैठा देखो
वहाँ एक चोर है....
बरसात***
हर ओर बादलों का शोर है
छाया अंधकार घनघोर है
अंबर के बाहुपाश से छूट रही चपला ,
सावन भी बरस रहा आज पुरज़ोर है.....
घात लगाए बैठा देखो
वहाँ एक चोर है....
मौके की फिराक में
न जाने कब से वो किशोर है....
कुछ तो हाथ लगेगा आज
सोच सोच वो आत्मविभोर है...।
मिलन की आस है या
जुदाई का आभास है
हर्ष है या विषाद है ?
कुछ तो है,तभी तो
नाच रहा मोर है....
मैं भी हूँ द्वंद में
मुझमें भी तो
नाच रहा एक मोर है
छुपा हुआ एक चोर है
ढूंढ रहा जो नई भोर है ।  हर ओर बादलों का शोर है
छाया अंधकार घनघोर है
अंबर के बाहुपाश से 
है छूट रही चपला ,
सावन भी बरस रहा
आज पुरज़ोर है.....
घात लगाए बैठा देखो
वहाँ एक चोर है....
seemakatoch7627

Seema Katoch

New Creator