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ढेरो मस्ती थी खुशियां बड़ी सस्ती थी कितने अरमान सज

ढेरो मस्ती थी
खुशियां बड़ी सस्ती थी
कितने अरमान सजाते थे
कितना अपनापन जताते थे
हर दिन के ख्याल....
हर शैतानी में शामिल हो जाते थे
छोटी सी बात भी मुस्कान लाती थी
रंग कितने जीवन में सजाती थी
सपनो की वो राह थी
मगर...मंजिल से भी खूबसूरत थी

©Neha Bhargava (karishma)
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