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अ से आदि ...अ से अनंत आ से आस्वादन अनंत का इ से

अ से आदि ...अ से अनंत 
आ से आस्वादन अनंत का 
इ से इला..... ई से ईश्वर
उ से उपनिषद ऊ से उर्वरा 
ओ में ॐ समाया .......
.
विचार ध्वनि बनते हैं 
ध्वनी लेती आकार शब्द में 
शब्द सजते वाक्य में 
अर्थ का निर्माण जो करे 
.
अनुभव ही ज्ञान है 
और भाषा है अभिव्यक्ति 
मुक्त ...गूंजती गगन में 
विचारों को पीठ पर बिठाए 
उड़ती ... छूती ऊंचाइयां 
.
अक्षर को सतह चाहिए 
उपकरण और स्थान भी 
शब्द तो और भी है उलझा 
स्थान बदले अर्थ बदले
.
जटिल है ये ध्वनियों की भाषा
जितने मुख उतनी परिभाषा 
जो अन्य को रुचिकर हो
सत्ता को स्वीकार्य हो 
वही हो सबकी भाषा
.
प्रजा भाषा??
शासक भाषा ???
.

 भाषा
अ से आदि ...अ से अनंत 
आ से आस्वादन अनंत का 
इ से इला..... ई से ईश्वर
उ से उपनिषद ऊ से उर्वरा 
ओ में ॐ समाया .......
.
विचार ध्वनि बनते हैं 
ध्वनी लेती आकार शब्द में 
शब्द सजते वाक्य में 
अर्थ का निर्माण जो करे 
.
अनुभव ही ज्ञान है 
और भाषा है अभिव्यक्ति 
मुक्त ...गूंजती गगन में 
विचारों को पीठ पर बिठाए 
उड़ती ... छूती ऊंचाइयां 
.
अक्षर को सतह चाहिए 
उपकरण और स्थान भी 
शब्द तो और भी है उलझा 
स्थान बदले अर्थ बदले
.
जटिल है ये ध्वनियों की भाषा
जितने मुख उतनी परिभाषा 
जो अन्य को रुचिकर हो
सत्ता को स्वीकार्य हो 
वही हो सबकी भाषा
.
प्रजा भाषा??
शासक भाषा ???
.

 भाषा

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