आया सन इक्कीस रे मन तड़फाकर ,हमे सताकर ,गया बीत सन बीस रे अब है मन में चाह ,नया उत्साह ,लाये इक्कीस रे कोरोना ने कहर मचाया ,कितनो के ही प्राण हरे नौ महिने से अधिक बिताये ,घर में घुस कर ,डरे डरे दशहत मारे ,हम बेचारे ,सब इतने मजबूर रहे बना दूरियां ,अपनों से ही ,उनसे दो गज ,दूर रहे मुंह पर पट्टी बंधी ,कभी ना हटी ,रही मन खीस रे अब है मन में चाह ,नया उत्साह ,लाये इक्कीस रे हुआ प्रकृती का कोप ,बढ़ गए रोग आपदायें आई आये कहीं भूकंप ,कहीं तूफ़ान ,बाढ़ भी दुखदायी सीमाओं पर सभी पडोसी देश ,मचा आतंक रहे बंद रहे बाज़ार ,लोग कुछ ,बेकारी से तंग रहे खस्ता हुई व्यवस्था ,मन में ,सबके उठती टीस रे सबके मन में चाह,नया उत्साह, लाये इक्कीस रे ©Pramod Kumar Happy New year #2021welcome Sudha Tripathi