#OpenPoetry जिस शहर में कहीं जब भी तेरा नाम होगा .. जरूरी तो है ज़िंदादिल भी बदनाम होगा.. सवालों की किताब सा बन गया हूं..अब मैं.. जवाबों को बता भी दो अब क्या शीला होगा .. जाओ बेशक ही ठुकरा कर इश्क़ को मेरे.. हंस के सह लूंगा हर इक ज़ुल्म अब तेरे.. तोड़ दिया था अकड़ मैंने सिर्फ तेरा होने के खातिर.. आ देख लेे अब कई ज़िंदादिल है फ़िदा यार पे तेरे... ज़िंदादिल