अक्सर कहा जाता है कि लड़कियां अब लड़को के समान ही हैं!कभी ध्यान दिया है? हमेशा कहा जाता है, लड़कियाँ लड़कों के बराबर हैं (मेरा ये मत भी नहीं कि 'लड़के लड़कियों के बराबर हैं' कहा जाए)। दोनों में किसी को किसी के बराबर आंकना उनके अस्तित्व का मजाक बनाने जैसा होगा। प्रत्येक अपने आप में इतना पूर्ण है कि उसे परिभाषित करने के लिए दूसरे कि आवश्यकता ना हो। दोनों का अस्तित्व उनके सामान्य होने से है न कि इस होड़ में कि कौन किससे आगे है और कौन किसके बराबर है! सभी को ये समझना होगा कि दोनों का सामान्य होना ही सहज है, वास्तविक है ...समान है तो दोनों का साथ होना😊 ©Ayushi Tiwari #boysgirl