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मुझे भीख की खुशियाँ पसंद नहीं, मैं जीता हूँ अपने ग़

मुझे भीख की खुशियाँ पसंद नहीं,
मैं जीता हूँ अपने ग़मों के राज में।
याद-ए-ग़म दिल से कभी जाती नहीं,
अब तो भूले से भी हँसी आती नहीं।
ग़म वो मयख़ाना कमी जिस में नहीं,
दिल वो पैमाना है कि भरता ही नहीं।
मेरे ग़म ने होश उनके भी खो दिए,
वो समझाते समझाते खुद ही रो दिए।

- via bkb.ai/shayari

©kajal singh 
  “जीवन के हर मोड़ पर सुनहरी यादों को रहने दो, 
 ज़ुबान पर हर वक़्त मिठास रहने दो !
 ये अंदाज़ है जीने का न खुद उदास रहो न किसी 
 को रहने दो
sapnasingh1102

kajal singh

Growing Creator

“जीवन के हर मोड़ पर सुनहरी यादों को रहने दो, ज़ुबान पर हर वक़्त मिठास रहने दो ! ये अंदाज़ है जीने का न खुद उदास रहो न किसी को रहने दो #समाज

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