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3) ये सोचकर कि खुद-निगर रूठा है हमसे बस। बंदग

3) ये सोचकर कि खुद-निगर रूठा है हमसे बस।

    बंदगी-ए-नदामत से ही मन बहलाता रहा मैं।।
 #NojotoQuote 1) अब  तलक तो अपने  जख्मो को  सहलाता रहा मैं।

   सूखी नदी हूँ आज, बरसों समंदर को पिलाता रहा मैं।।


2) होता नहीं नशा आजकल शराब-ओ-शबाब का मुझे

    माह-ओ-साल इन्हें अपनी नदामत में मिलाता रहा मैं।।
3) ये सोचकर कि खुद-निगर रूठा है हमसे बस।

    बंदगी-ए-नदामत से ही मन बहलाता रहा मैं।।
 #NojotoQuote 1) अब  तलक तो अपने  जख्मो को  सहलाता रहा मैं।

   सूखी नदी हूँ आज, बरसों समंदर को पिलाता रहा मैं।।


2) होता नहीं नशा आजकल शराब-ओ-शबाब का मुझे

    माह-ओ-साल इन्हें अपनी नदामत में मिलाता रहा मैं।।