ये आँखें अब तुमसे पूंछ रहीं हैं प्रश्न कई .... क्या उनके उत्तर मिलेंगे सही मुझे क्या .....✓ समाज में क्या स्थान है मेरा यहां मैं एक लड़की हूं बस यही सच है मेरा क्या ? यह सवाल पूछती आँखे आपसे है क्या मेरा लड़की होना है एक बवाल ..? तन भले ही हैं हमारे ढंके हुए पर सभी की नजरें हमारी आबरू को ही घेरे क्यो है ....! सारे बंधन क्यों सिर्फ हमारे लिए है क्या पुरुष हैं दूध के धुले हुए ? क्यों सहकर भी हम ही चुप रहें समाज के ताने भी हम ही सहे.....! यह आँखें रोकर कोसती हैं अपनी तकदीर को क्या सिर्फ एकतरफ़ा ही है मर्यादा की लकीर जो...... क्यों यह समाज दफनाने लगता है हमारा अधिकार .... जब पुरुष करता है इस मर्यादा पर प्रहार.....! भले ही तरक्की की ओर अग्रसर हैं हम लड़कियां हैं सुरक्षित ये एकमात्र है भ्रम ! समाज द्वारा स्त्री की आत्मा पर है जो आघात ......!! ©बेजुबान शायर shivkumar #bejubaanshayar #bejubaanshayar143 #kavita #kavitahindi #कविता #कविता95 #Nojoto #Life