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आज फिर नींद को आँखों से बिछड़ते देखा आज फिर मैंने ए

आज फिर नींद को आँखों से बिछड़ते देखा आज फिर मैंने एक गरीब को ठंड से ठिठुरते देखा
ना कम्बल ना कोई अलाव 
ना किसी का उससे कोई लगाव
आपका मंडल उपाध्यक्ष आलोक कटियार बहुत सर्दी है भाई
आज फिर नींद को आँखों से बिछड़ते देखा आज फिर मैंने एक गरीब को ठंड से ठिठुरते देखा
ना कम्बल ना कोई अलाव 
ना किसी का उससे कोई लगाव
आपका मंडल उपाध्यक्ष आलोक कटियार बहुत सर्दी है भाई
alokkatiyar8479

Alok Katiyar

New Creator

बहुत सर्दी है भाई