आज फिर नींद को आँखों से बिछड़ते देखा आज फिर मैंने एक गरीब को ठंड से ठिठुरते देखा ना कम्बल ना कोई अलाव ना किसी का उससे कोई लगाव आपका मंडल उपाध्यक्ष आलोक कटियार बहुत सर्दी है भाई