मैं ज़िंदगी हूँ.... लिख सकते हो तो लिखो मेरी कहानी पर नहीं लिख पाओगे क्योंकि मैं जिंदगी हूँ जिसे परिभाषित न कर पाया कोई यद्यपि जीते हैं सब सह सकते हो तो सहकर देखो मेरी तरह लेकिन सह न पाओगे मेरी तरह अत्याचार और पीड़ा हाँ, मैंने देखा है प्यार तो तिरस्कार भी देखा है तुमने चाँद पर बैठा दिया मुझे तो पाताल से भी नीचे नरक में धकेल दिया फिर भी जब-जब देखती हूँ तुम्हें जरूरत है मेरी चली आती हूँ कई रूप धरकर तुम्हारे पास क्योंकि! हां मैं जिंदगी हूं. ..!! #मैं_ज़िंदगी_हूँ.... लिख सकते हो तो लिखो मेरी कहानी पर नहीं लिख पाओगे क्योंकि मैं जिंदगी हूँ जिसे परिभाषित न कर पाया कोई यद्यपि जीते हैं सब