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गुस्से की आग में जलकर खाक हुए वो अपने वो सपने सब त

गुस्से की आग में जलकर खाक हुए
वो अपने वो सपने सब तबाह हुए
न पूछ मुझसे क्या पाया है मैंने
पूछ मुझसे क्या क्या गवाया हैं मैंने

कितने सितम ढाहे हैं ख़ुद पर
और कितने ही घर भुनाए हैं मैंने
इस गुस्से की आग में जलकर राख हुआ
हर रिश्ते को फिर ख़ाक किया

न जाने कितनी राते जाग कर गुजारी हैं
मैंने की तन्हाइयो से यारी हैं
और सबकुछ तबाह कर युं बैठी हूँ अब मै
जैसे गलती सारी तुम्हारी हैं

गुस्से की आग में जलकर खाक हुई 
मै वो राख हुई जो कभी न साफ़ हुई


🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

©मित्रों #coldnights  sad poetry poetry in hindi hindi poetry hindi poetry on life
गुस्से की आग में जलकर खाक हुए
वो अपने वो सपने सब तबाह हुए
न पूछ मुझसे क्या पाया है मैंने
पूछ मुझसे क्या क्या गवाया हैं मैंने

कितने सितम ढाहे हैं ख़ुद पर
और कितने ही घर भुनाए हैं मैंने
इस गुस्से की आग में जलकर राख हुआ
हर रिश्ते को फिर ख़ाक किया

न जाने कितनी राते जाग कर गुजारी हैं
मैंने की तन्हाइयो से यारी हैं
और सबकुछ तबाह कर युं बैठी हूँ अब मै
जैसे गलती सारी तुम्हारी हैं

गुस्से की आग में जलकर खाक हुई 
मै वो राख हुई जो कभी न साफ़ हुई


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