सरकार जानें किस मोड़ पर ये दुनिया खड़ी हैं, मौत क्यूं अब ज़िंदगी के पीछे पड़ी हैं। जिन हवाओं में ज़िंदगी खिला करती थीं, उन्हीं हवाओं में टूटती सांसों की लड़ी हैं। दूरियां इंसां की पहले ही बढ़ चुकी थी, अब तो दिखाने भर को दूरियां बढ़ी हैं। शिफाखानों में जिंदगियों का सौदा हो रहा है, दौलत के हाथों इंसानियत बिक रही हैं। ताउम्र इंतज़ार में गुज़रती है ज़िंदगी मगर, जलने के इंतज़ार में भी,अब लाशें पड़ी हैं। किसको सुनाएं रोशन,कौन सुनता है यहां, हुकूमत को तो यहां अपने वोटों की पड़ी हैं। ©Roshan Jain #government #India #corona #covid19 #Politics #Satta #Zindagi #सरकार