White चार सितम्बर की बात है शिक्षक दिवस की तैयारियां जोर शोर में थी मैं भी बहुत खुश थी कि कल के दिन को लेकर मै कम्पयूटर लैब में अपना काम कर ही रही थी कि जैसे मैने दूसरे कम्पयूटर की मेन स्विच आन करी कुछ अलग आवाज आई और आग लग गई मुझे पहली बार इलेक्ट्रिक शाक लगा मैं स्तब्ध थी सारे बच्चे भागते हुए छत की ओर सीढियों पर चढ़ने लगे हमारे स्कूल की प्रधानाचार्य ने पूछा कि हुआ क्या शायद सर को पता तो वहां आए और मैम भी आई और मुझे आफिस में लाया गया मेरा एक हाथ शून्य हो गया था कपकंपाहट थी और मैं बहुत डरी थी डाक्टर आए और चेक अफ में मेरी बी पी बहुत ज्यादा बढ गई थी जब थोड़ा नार्मल हुआ तो घर पर मैम ने पापा के पास काल किया और मुझे घर ले आया गया घर आने के बाद बस ये याद था कि हमारी अम्मा मां सब स्कूल को गालियां दे रही थी मेरी स्थिति खराब हुई तो फिर हॉस्पिटल ले गए वहां पर इलाज के दौरान मैं दुखी थी मेरी मां मेरे संग थी उस दौरान मैंने ऐसे लोगों को काल किया जिनसे मेरा लगाव था पर सब निरुत्तर था और बहुत से ऐसे लोग थे जो मिलने भी आए कुछ तो फोन पर भी हाल खबर ली मैं उन दिनों उन लोगों को याद की जिन्होंने मुझे कभी नहीं याद किया आज मैं कई दिनों पश्चात स्कूल गई तो बच्चे बहुत नाराज थे मुझसे कि उन्होंने बहुत मेहनत की थी टीचर्स डे पर उनके सारे सपने बिखर गए उनके सवाल मिस हमने आपको बहुत मिस किया सबको मैंने मनाया परंतु तबियत बहुत सही नहीं थी इसलिए बैठ गए तो अचानक पहली सीट पर बैठने वाली बच्ची आफिया याद आई बच्चों से पूछने पर पता चला कि वायरल फीवर होने से कल उसका देहांत हो गया, मेरे पैर से जमीन खिसक गई उस दिन घर जाते हुए उसने कहा था मिस क्या आप मुझे याद करेंगी मैने जवाब नहीं दिया था परंतु मैं उसे बहुत मिस कर रही हूं उसकी छवि मेरे नयनो के समक्ष गूंज रही है और मन में विचार है कि काश न कम्पयूटर लैब में न आग लगती न मेरी आफिया मुझसे दूर होती अच्छा तो इतना टाइप करते करते हाथों में बहुत दर्द होने लगा है फिर लिखेंगे ।। ©Shilpa Yadav #Sad_Status #Shilpayadav#nojotohindi#nojotoenglish#shilpayadavpoetry संस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु