आशिक़ी ********* मेरे नज़रों की ख्वाहिशें भी कितनी बढ़ी है कि जब से ये तेरे चेहरे से जा मिली है मुकम्मल सा ये जहान लगने लगा है कि जब से ये मौसिकी सर चढ़ी है अंजाम क्या होगा इस अहद ए वफ़ा का सुना हैं इश्क़ ए इबादत सबसे बड़ी बंदगी है एक आरज़ू सी रहती हैं इस जहन में मेरे कि तेरा सजदा पा कर ही सफ़र ये आखिरी है ishu................ #आशिक़ी