कुंडिलिया छंद गिरधर दीवानी हुई , विनती है कर जोर। आकर मिल मन मोहना , प्रिय हूँ भाव विभोर।। प्रिय हूँ भाव विभोर , मन करता मनुहार है । दया करो प्रभु आज ,जीवन में अश्रुधार है।। वसुंधरा की अरजी , स्वीकार लें मुरली धर। सहारा नहीं और ,, हे मेरे श्याम गिरधर।। Dr Vassundhara Rai कुंडिलिया छंद गिरधर दीवानी हुई , विनती है कर जोर। आकर मिल मन मोहना , प्रिय हूँ भाव विभोर।। प्रिय हूँ भाव विभोर , मन करता मनुहार है । दया करो प्रभु आज ,जीवन में अश्रुधार है।।