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कुंडिलिया छंद गिरधर दीवानी हुई , विनती है कर जोर।

कुंडिलिया छंद

गिरधर दीवानी हुई , विनती है कर जोर। 
आकर मिल मन मोहना , प्रिय हूँ भाव विभोर।।

प्रिय हूँ भाव विभोर ,  मन करता मनुहार है ।
दया करो प्रभु आज ,जीवन में अश्रुधार है।।

वसुंधरा की अरजी , स्वीकार लें मुरली धर।
सहारा नहीं और ,, हे मेरे  श्याम गिरधर।।

Dr Vassundhara Rai कुंडिलिया छंद

गिरधर दीवानी हुई , विनती है कर जोर। 
आकर मिल मन मोहना , प्रिय हूँ भाव विभोर।।

प्रिय हूँ भाव विभोर ,  मन करता मनुहार है ।
दया करो प्रभु आज ,जीवन में अश्रुधार है।।
कुंडिलिया छंद

गिरधर दीवानी हुई , विनती है कर जोर। 
आकर मिल मन मोहना , प्रिय हूँ भाव विभोर।।

प्रिय हूँ भाव विभोर ,  मन करता मनुहार है ।
दया करो प्रभु आज ,जीवन में अश्रुधार है।।

वसुंधरा की अरजी , स्वीकार लें मुरली धर।
सहारा नहीं और ,, हे मेरे  श्याम गिरधर।।

Dr Vassundhara Rai कुंडिलिया छंद

गिरधर दीवानी हुई , विनती है कर जोर। 
आकर मिल मन मोहना , प्रिय हूँ भाव विभोर।।

प्रिय हूँ भाव विभोर ,  मन करता मनुहार है ।
दया करो प्रभु आज ,जीवन में अश्रुधार है।।