न मेरा शहर बचा है न मेरा गाँव बचा है न ऊँची इमारतें बचीं हैं न पीपल का छाँव बचा है करोना ने हंसकर गले लगाया है सबको यहाँ न घर बैठे लोग बचे हैं न सड़क पर चलता पाँव बचा है आदित्य कुमार भारती टेंगनमाड़ा, बिलासपुर, छ.ग. #lockdown 5.0